श्रीमद्भागवत महापुराण और विष्णु पुराण के अनुसार भगवान नारायण के 24 अवतार बताए गए हैं। 24 अवतार में से भगवान नारायण का श्रीहरि 17 वा अवतार हैं।
भगवान नारायण ने श्री हरि अवतार को एक गजेंद्र की रक्षा के लिए लिया था।कथा इस प्रकार है प्राचीन समय में त्रिकूट पर्वत में एक शक्तिशाली हाथी रहता था। उसका नाम गजेंद्र था। वह अपनी हथिनीयो और पुत्रों के साथ रहता था। एक बार गजेंद्र अपनी हथिनीयो और पुत्रों के साथ तालाब में स्नान करने के लिए गया।वहां एक मगरमच्छ ने गजेंद्र का पैर पकड़ लिया और वह मगरमच्छ गजेंद्र को अंदर खींचने लगा। गजेंद्र और मगरमच्छ का संघर्ष 1000 साल तक चलता रहा।मगर अंत में गजेंद्र हिम्मत हार गया। उसने अपने सभी पुत्रों अपनी पत्नियों को बुलाया, मगर उसकी मदद के लिए कोई नहीं आया। अंत में गजेंद्र ने भगवान नारायण ध्यान करने लगा गजेंद्र की स्तुति सुनकर भगवान ने अपना श्रीहरि अवतार धारण कर लिया।और भगवान श्री हरि ने अपने सुदर्शन चक्र से मगरमच्छ का वध किया और गजेंद्र को मुक्त किया।
भागवत महापुराण में इस कथा को गजेंद्र मोक्ष का नाम दिया गया है।
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Namo Naryan❤❤
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