भगवान बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी


 

एक बार भगवान गौतम बुद्ध एक गांव में भ्रमण कर रहे थे।   तभी उसी समय एक व्यक्ति आकर भगवान गौतम बुद्ध  से बोला मुझे मेरे घरवाले नहीं चाहते हैं  क्योकि मुझे कोई काम नहीं आता है। लोग मुझे धरती का बोझ बोलते हैं तब किसी ने मुझे आपके बारे में बताया। आप सब की समस्या का समाधान करते हैं। कृपया भगवान आप मेरी समस्या का समाधान करें कि मेरी जीवन में क्या कीमत है । 

तब गौतम बुद्ध उस व्यक्ति की बातें सुनकर मुस्कुराए और बोले।मैं तुम्हें एक चमकीला पत्थर देता हूं। तुम उसे दुकान में जाकर इसका मूल्य पता करके आओ और ध्यान रहे इस पत्थर  को बेचना मत।वह आदमी सबसे पहले वह पत्थर ले जाकर एक आम वाले के पास पहुंचा।फिर उस व्यक्ति ने कहा, इस पत्थर की कीमत क्या होगी वह आम वाला समझ गया था कि यह पत्थर कोई मूल्यवान पत्थर है।वह आम वाला जानबूझकर बोला,  इस पत्थर के बदले में तुम्हें सिर्फ 10 आम दे सकता हूं।वह आदमी आगे बढ़ा और सब्जी वाले के पास पहुंचा। उस सब्जी वाले से उस आदमी ने बोला, इस पत्थर की कीमत क्या होगी। उस सब्जी वाले ने बोला, मैं इस पत्थर के बदले 1 बोरी आलू ही दे सकता हूं।फिर वह व्यक्ति वहां से भी आगे बढ़ा। उसने सोचा कि यह कोई कीमती पत्थर है। वह उस पत्थर को ले जाकर एक सुनार वाले  के पास चला गया।और फिर उस व्यक्ति ने उस सुनार वाले से बोला भैया इस पत्थर की कीमत क्या होगी  वह सुनार वाले ने पत्थर को देख कर ही समझ गया। यह कोई कीमती पत्थर रूबी है। यह कीमती पत्थर सिर्फ किस्मत वालों को ही मिलती है। फिर  सुनार वाला व्यक्ति से बोला, मैं तुम्हें इस पत्थर के बदले एक लाख  सोने के सिक्के दे सकता हूं।फिर वह व्यक्ति वहां से भी आगे बढ़ा परंतु बहुत सुनार वाला उस व्यक्ति से जबरदस्ती करने लगा। वह बोला चलो मैं इस पत्थर के बदले में पचास लाख सोने के सिक्के दे सकता हूं।  फिर उस व्यक्ति को इस पत्थर की कीमत समझ में आ गई। फिर वह व्यक्ति उस सुनार वाले से पीछा छुड़ाकर भागने लगा और सीधा भगवान बुद्ध के पास पहुंचा।



उस व्यक्ति ने भगवान बुद्ध को सारी घटना सुनाई।भगवान बुध मुस्कुरा कर बोले सभी ने इस पत्थर की कीमत अपने हिसाब से अलग-अलग लगाई।उसी तरह यह जीवन भी अनमोल है हर व्यक्ति हीरे के समान होता  है दुनिया उसे जितना पहचानती है उसे उतना ही महत्व देती  है  ।मगर आदमी और हीरे में एक खास अंतर होता है। हीरे को कोई दूसरा तरसाता  है और आदमी को अपने आप ही अपने आप को तरासना होता है।भगवान बुद्ध बोले, कोई भी किसी के लिए बोझ नहीं होता। खुद को अपने आप को पहचान ना होता है।

फिर वह व्यक्ति अपनी कीमत समझ गया  और भगवान बुद्ध के चरणों में धन्यवाद कर कर वहां से चला गया।