श्रीमद् भागवत महापुराण की महिमा
श्रीमद् भागवत महापुराण की महिमा के बारे में जितना कहा जाए उतना कम है।श्रीमद्भागवत महापुराण को पुराणों का सार कहा जाता है। इस कलिकाल में सर्वश्रेष्ठ पुराण भागवत महापुराण को माना जाता है। यह पुराण ज्ञान में वृद्धि और भय को मिटा देती है।
श्रीमद् भागवत महापुराण में 12 स्कंध और 18000 श्लोक हैं।जिसमें श्री हरि नारायण के अवतारों और भगवान श्री कृष्ण की लीला के बारे में बताया गया है।
भागवत 4 शब्दों से मिलकर बनती है।
भा : का मतलब :जीवन के सारे भाग्य खोल देती है।
ग :का मतलब : इंसान के सारे गुमान मिटा देती है अर्थात अहंकार को मिटा देती है।
वा : मतलब :भागवत सुनने से बल और बुद्धि बढ़ जाती है और सकारात्मक सोचने की शक्ति बढ़ जाती है।
त : का मतलब : त का मतलब तकदीर बदल जाती है।
जो भागवत सुनता है वह या भागवत को पड़ता है। उनके उपदेशों को अपने जीवन में उतारता है। उसकी तकदीर बदल जाती है।
भा : का मतलब :जीवन के सारे भाग्य खोल देती है।
ग :का मतलब : इंसान के सारे गुमान मिटा देती है अर्थात अहंकार को मिटा देती है।
वा : मतलब :भागवत सुनने से बल और बुद्धि बढ़ जाती है और सकारात्मक सोचने की शक्ति बढ़ जाती है।
त : का मतलब : त का मतलब तकदीर बदल जाती है।
जो भागवत सुनता है वह या भागवत को पड़ता है। उनके उपदेशों को अपने जीवन में उतारता है। उसकी तकदीर बदल जाती है।
श्रीमद् भागवत महापुराण में बताया गया है। कलयुग से बचने के लिए सिर्फ श्री हरिनारायण की शरण और श्री कृष्ण की लीला का श्रवण करना है जो भी भागवत रुपी अमृत का पान कर लेता है उसे मृत्यु का भय नहीं होता।
मनुष्य को अपने जीवन में एक बार श्रीमद् भागवत महापुराण को श्रवण या भागवत को पढ़ना चाहिए।
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