तुलसीदास जी का जीवन परिचय


 

 तुलसीदास जी के जन्म के बारे में अलग-अलग किस्से हैं.परंतु आज तक कोई स्पष्ट नहीं बता पाया। तुलसीदास जी का जन्म कब हुआ

रामचरितमानस के अनुसार तुलसीदास जी का जन्म 13 अगस्त 1511 में हुआ था।तुलसीदास जी का जैसे ही जन्म हुआ, इनकी माता का देहांत हो गया। कुछ दिनों के बाद उनके पिता का भी देहांत हो गया। गांव के लोग इन्हें अभागा कहने लगे। लालन-पालन करने वाला कोई नहीं था। फिर भी तुलसीदास श्री राम जी के भरोसे रहने लगे।कुछ दिनों के बाद परिवार के कुछ लोगों ने  तुलसीदास  जी का विवाह रत्नावली से करवा दिया। तुलसीदास जी को माता का प्यार मिला नहीं। पिता का प्यार भी मिला नहीं। वह अपनी पत्नी से बहुत प्यार करते थे

 एक दिन की बात है एक दिन रत्नावली अपने मायके जाने लगी। तुलसीदास जी बहुत रोने लगे परंतु फिर भी रत्नावली  तुलसीदास जी को समझा कर वह मायके चली गई। तुलसीदास जी का पूरा दिन मन नहीं लगा। उन्होंने सोचा, मैं अपनी पत्नी से मिलने के लिए जाता हूं। उस समय बारिश का मौसम था। नदिया पानी से भरी थी जब तुलसीदास जी चले उन्हें एक नदी को पार करना था। बारिश की वजह से कोई भी नाव नहीं थी। तभी एक मुर्दा बहता हुआ आया।तुलसीदास जी को अपनी पत्नी से मिलने की चाह इतनी थी। उन्होंने मुर्दा को नाव समझ लिया। उन्होंने सोचा मेरी पत्नी ने मेरे लिए नाव भेजा है। तुलसीदास जी ने मुर्दा पर बैठकर नदी पार कर ली।जब तुलसीदास जी गांव में पहुंचे उन्होंने गांव वालों से पूछ कर रत्नावली का घर का पता किया। उन्हें खिड़की की तरफ से जाने की कोशिश की क्योंकि रात हो गई थी। सब सो गए थे। उस समय रत्नावली के कमरे में सांप जा रहा था। तुलसीदास जी प्रेम के चाह के कारण सांप को रस्सी समझ ली और  कमरे में पहुंच गए।

रत्नावली ने जब तुलसीदास जी को देखा वह चौकन्ना है गई और पूछा आप कहां से आ गए । तुलसीदास जी ने कहा, मैं नदी पार करके तुमसे मिलने आ गया तब रत्नावली ने तुलसीदास जी को कहा जितना  प्यार आपने मुझसे किया है, इस शरीर से किया है उतना प्यार आपने भगवान से किया होता। आपको अब तक भगवान मिल गए होते। अपनी पत्नी की बातें सुनकर तुलसीदास जी को वैराग्य हो गया और वह जिस रास्ते आए थे, उसी रास्ते घर को छोड़कर वह अयोध्या चले गए |